March 31, 2012

खड़ा हिमालय बता रहा है

सोहन लाल द्विवेदी
जन्म 22 फरवरी 1906, बिन्दकी, फतेहपुर , उत्तर प्रदेश

खड़ा हिमालय बता रहा है
डरो न आंधी पानी में।
खड़े रहो तुम अविचल हो कर
सब संकट तूफानी में।

डिगो ना अपने प्राण से, तो तुम
सब कुछ पा सकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो,
छू सकते हो नभ के तारे।

अचल रहा जो अपने पथ पर
लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता जग में उसको,
जीने में मर जाने में।

2 comments:

Unknown said...

excellent poem.it boost up ur confidence when u recite in distress. our youth should imbibe this quality.

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.