जन्म: ४ जनवरी, १९२४, इटावा, उत्तर प्रदेश
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सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आंख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी | ||||
गीली उमर बनाने वालो डूबे बिना नहाने वालो कुछ पानी के बह जाने से सावन नही मरा करता है | ||||
माला बिखर गई तो क्या खुद ही हल हो गई समस्या आँसू ग़र नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या | ||||
रूठे दिवस मनाने वालो फटी कमीज़ सिलाने वालो कुछ दीपों के बुझ जाने से आंगन नही मरा करता है | ||||
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर के़वल जिल्द बदलती पोथी जैसे रात उतार चांदनी पहने सुबह धूप की धोती | ||||
वस्त्र बदलकर आने वालो चाल बदलकर जाने वालो चंद खिलौनों के खोने से बचपन नही मरा करता है | ||||
लाखों बार गगरियां फूटीं शि़क़न न आई पर पनघट पर लाखों बार कश्तियां डूबीं चहल पहल वोही है तट पर | ||||
तम की उम्र बढाने वालो लौ की आयु घटाने वालो लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नही मरा करता है | ||||
लूट लिया माली ने उपवन लुटी न लेकिन गंध फूल की तूफानों तक ने छेड़ा पर खिड़की बंद न हुई धूल की | ||||
नफरत गले लगाने वालो सब पर धूल उडाने वालो कुछ मुखडों की नाराज़ी से दर्पन नही मरा करता है |
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