June 07, 2008

...क्योंकि

धर्मवीर भारती
इस लिये तलवार टूटी अश्व घयल
कोहरे डुबी दिशायें
कौन दुश्मन, कौन अपने लोग सब कुछ धुन्ध धुमिल
किन्तु कयम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी
... क्योंकि सपना है अभी भी ।

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