June 27, 2008

मधुशाला


हरिवंश राय बच्चन
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीने वाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस
में है वो भोला भाला,
अलग अलग पथ बतलाते सब,
पर मैं यह बतलाता हूँ-
'राह पकड़ तू एक चलाचल
पा जायेगा मधुशाला।

No comments: