
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती,
गद्दारी, लोभ का मिलना सबसे खतरनाक नहीं होती,
सोते हुये से पकडा जाना बुरा तो है,
सहमी सी चुप्पी में जकड जाना बुरा तो है,
पर सबसे खतरनाक नहीं होती,
सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना,
न होना तडप का सब कुछ सहन कर जाना,
घर से निकलना काम पर और काम से लौट कर घर आना,
सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना ।
सबसे खतरनाक होती है, कलाई पर चलती घडी, जो वर्षों से स्थिर है।
सबसे खतरनाक होती है वो आंखें जो सब कुछ देख कर भी पथराई सी है,
वो आंखें जो संसार को प्यार से निहारना भूल गयी है,
वो आंखें जो भौतिक संसार के कोहरे के धुंध में खो गयी हो,
जो भूल गयी हो दिखने वाले वस्तुओं के सामान्य अर्थ
और खो गयी हो व्यर्थ के खेल के वापसी में ।
सबसे खतरनाक होता है वो चांद, जो प्रत्येक हत्या के बाद उगता है सुने हुए आंगन में,
जो चुभता भी नहीं आंखों में, गर्म मिर्च के सामान
सबसे खतरनाक होता है वो गीत जो मातमी विलाप के साथ कानों में पडती है,
और दुहराती है बुरे आदमी की दस्तक, डरे हुए लोगों के दरवाजे पर ।
4 comments:
सबसे खतरनाक होता है.. पाश रचित यह कविता अभी भी पुरी नहीं है| अंतिम २-३ पंक्तियों का अनुवाद शेष है। यथाशीघ्र पुरी कविता प्रकाशित करने की कोशिश कर रहा हूं।
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. यह बस एक निवेदन मात्र है.
complete poetry of Paash in Punjabi and other languages and much more about the life and times of our poet Paash is on my blog http://paash.wordpress.com
शुक्रिया भारत भुषण. वाकई आपका प्रयास सराहनीय है. पाश को ज्यादा से ज्यादा जानने की इच्छा है. आपका ये ब्लाग इसे काफी हद तक पुरी कर पयेगा ऐसी आशा है. शुक्रिया आपका.
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