रामधारी सिंह "दिनकर " बेगुसराय, बिहार २३ सितम्बर, १९०८ - २४ अप्रैल १९७४, |
मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपार
बंद कक्ष में बैठ लिखोगे ऊँचे मीठे गान
या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर जा मैदान
कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली
मन ही नहीं विचारों में भी आग लगाने वाली
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे